देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व, आसन वेटलैंड सर्दिया आते ही साइबेरियन पक्षियों से गुलजार हो गया है। जिन्हें देखने के लिए आसन झील में पक्षी प्रेमी बड़ी संख्या पहुंच रहे हैं। सुर्खाब, बयारी समेत 47 प्रजातियों के करीब 5 हजार प्रवासी पक्षियों ने झील में डेरा जमाया हुआ है। इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने अलग-अलग टीमें तैनात करी हैं।
देहरादून से 42 और पांवटा साहिब से लगभग 6 किमी की दूरी पर स्थित उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को आपस में जोड़ने वाली कृत्रिम झील, आसन झील (आसन कंजरवेशन रिजर्व) आसन नदी और पूर्वी यमुना नहर के संगम पर बनी है जो, देहरादून शहर के उत्तर-पश्चिम में ढालीपुर पावर प्लांट (डाकपत्थर) के पास स्थित है। देश का पहला कंजर्वेशन रिजर्व और उत्तराखंड की पहली रामसर साइट, आसान वेटलैंड इन दिनों विदेशी मेहमानों से खासी गुलजार है। ये खास मेहमान दूसरों देशों से आए विदेशी पक्षी हैं, जिन्हें साइबेरियन बर्ड्स कहा जाता है। सर्दियों के मौसम की शुरुआत होते ही यह विदेशी पक्षी आसन झील में आने लगते हैं। आसान झील की रौनक बढ़ाते, हजारों की संख्या में पहुंचे ये रंग-बिरंगे विदेशी साइबेरियन मेहमान आसन वेटलैंड की नम भूमि में खूब अठखेलियां करते हैं।आसन झील में अक्टूबर-नंवबर से लेकर मार्च-अप्रैल माह में आसन वेटलैण्ड कंजर्वेशन रिजर्व को गुलज़ार करने वाली लगभग 300 देशी व विदेशी प्रजातियों के लगभग सात से आठ हजार पक्षी यहां पर प्रवास के लिए पहुंचते हैं।
इन विदेशी मेहमानों को देखने के लिए जहां एक तरफ अब आसान झील में पक्षी प्रेमी बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं, और इन खूबसूरत मेहमानों की खूबसूरती और अठखेलियों का आनन्द ले रहें हैं तो वहीं दूसरी तरफ इन विदेशी पक्षियों की सुरक्षा एवं देखरेख में वन विभाग भी मुस्तैद नजर आ रहा है, ताकि कोई शिकारी इन प्रवासी पक्षियों को कैद न कर ले।
आसन वेटलैंड में विदेशी पक्षियों के आगमन से लेकर सुरक्षित रवानगी तक का जिम्मा वन विभाग ने उठाया है। इन नायाब पक्षियों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने झील की निगरानी के लिए चकराता वन प्रभाग से वन दरोगा प्रदीप सक्सेना को जिम्मेदारी सौंपी हैं। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि इन विदेशी पक्षियों की देख-रेख के लिए टीमें गठित की गई हैं, जो दिन-रात गश्त लगाकर पक्षियों की निगरानी कर रही हैं।
प्रदीप सक्सेना बताते हैं कि आसन झील में आने वाले विदेशी साईबेरियन पक्षियों में सुरखाब, बयारी बत्तख, बड़ा पनकब्वा, मलग बगुला, करचिया बगुला, सीखपर, गुडगुडा, कुर्चिया, सुर्खिया बगुला जैसी कई प्रजातियां पहुंचती है। उन्होंने बताया कि अभी तक कई प्रजातियां झील में पहुंच चुकी हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हर साल आसन झील में आने वाले विदेशी साइबेरियन पक्षियों की प्रजातियों में इजाफा भी हो रहा है जो पर्यावरण की दृष्टि से सकारात्मक सोच कही जा सकती है।