हरिद्वार: एस.एम.जे.एन. पीजी कॉलेज में, उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं शोध केंद्र, देहरादून द्वारा प्रायोजित शोध परियोजना के अंतर्गत “वायु गुणवत्ता एवं गंगा की पारिस्थितिकी” विषय पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार का शुभारंभ कालेज प्राचार्य प्रो० सुनील कुमार बत्रा, डॉ० लक्ष्मी नारायण ठुकराल व संयोजक डॉ० संजय माहेश्वरी आदि द्वारा सरस्वती माता के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया।
सेमिनार में की-नोट-स्पिकर प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. लक्ष्मी नारायण ठकुराल ने कहा कि जल संकट आज विश्व में भयंकर समस्या के रूप में सामने खड़ा है। आज औद्योगिकीकरण एवं मानवजनित क्रियाकला से भूमिगत जल के साथ सतही जल की गुणवत्ता पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि जीवन तंत्र को बचाये रखने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी है।
कॉलेज के प्राचार्य प्रो. सुनील कुमार बत्रा ने कहा कि गंगा में मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न हो रहा प्रदूषण चिंताजनक है। उत्तराखंड राज्य भारतीय हिमालयी क्षेत्र के परिस्थितिकीय रूप से सम्पन्न भूभागों में से एक है। उत्तराखंड जीव जन्तुओं तथा वनस्पतियों की जैव विविधता से सम्पन्न राज्य है।
सेमिनार का संचालन करते हुए आन्तरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के प्रभारी डॉ. संजय कुमार माहेश्वरी ने कहा कि जनजागरूकता के प्रयास ही पर्यावरण से सम्बन्धित समस्याओं का निदान करने में सहायक हो।
परियोजना के मुख्य शोधकर्ता डॉ. विजय शर्मा ने कहा कि, गंगा जल की गुणवत्ता पर विभिन्न प्रकार के मानवीय क्रियाकलापों का असर पड़ा है।
इस अवसर पर विनय थपलियाल, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. लता शर्मा, डॉ. सरोज शर्मा, डॉ. मिनाक्षी शर्मा, डॉ. पूर्णिमा सुन्दरियाल, डॉ. रश्मि डोभाल, शाहिन, डॉ. सुगन्धा वर्मा, डॉ. पल्लवी राणा, डॉ. विनीता चौहान, डॉ. रजनी सिंघल, डॉ. पदमावती तनेजा, विनीत सक्सेना सहित अनेक छात्र- छात्रायें उपस्थित थे।