राजकीय महाविद्यालय मंगलौर में संविधान दिवस के अवसर पर एक दिवसीय विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया

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मंगलौर, हरिद्वार

आज राजकीय महाविद्यालय मंगलौर में हिन्दी विभागीय परिषद् द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर संविधान: एक विचार विषयक एक दिवसीय विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम संयोजक हिन्दी विभाग प्रभारी डॉ० राम भरोसे ने इस आयोजन के विषय में विस्तार से बताया कि आज संविधान दिवस के अवसर पर कहा कि हमारे युवाओं को आज संविधान को समझने की बहुत ज़रूरत है। इसी बात को समझने के लिए ये संविधान दिवस मनाया जा रहा है।

कार्यक्रम का शुभारंभ ‘संविधान की प्रस्तावना के वाचन’ से किया गया। इसके बाद महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ० प्रेमलता कुमारी ने छात्र-छात्राओं को संविधान के महत्व के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति सजग रहना चाहिए।
इस अवसर पर बच्चों ने भी अपने विचार रखें। बीए प्रथम सेमेस्टर के छात्र अभिनव ने कहा कि 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान को संविधान सभा ने स्वीकार किया था, और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ। यह दिन हमारे लोकतांत्रिक मूल्यों, अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुनः स्थापित करता है। सविधान दिवस पर हमें अपने संविधान की महत्वता को समझने की आवश्यकता है।हमारा संविधान भारतीय नागरिकों को अधिकारों और स्वतंत्रता का सुरक्षा प्रदान करता है। हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने संविधान का पालन करेंगे, और इसके आदर्शों के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखेंगे।


बीए तृतीय सेमेस्टर के छात्र हर्ष मौर्य ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमारे संविधान में न केवल हमारे अधिकारों की सुरक्षा की गई है, बल्कि हमें अपने कर्तव्यों का भी एहसास कराया गया है। यह संविधान हमें समानता, स्वतंत्रता, और न्याय का अधिकार देता है। लेकिन अधिकारों के साथ-साथ, हमें अपने कर्तव्यों को भी समझना और उनका पालन करना जरूरी है। यदि हम अपने कर्तव्यों को सही ढंग से निभाते हैं, तो ही हमारे अधिकारों की सही तरीके से रक्षा हो सकती है।
इसके बाद बीए पंचम सेमेस्टर के छात्र पुनीत ने भी अपने वक्तव्य में कहा कि,
यह संविधान हमारा महान,
सर्वोच्च ग्रंथ, भारत की शान।
हर शब्द में है न्याय समाया,
हर पन्ने ने सम्मान दिलाया।
संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष,
लोकतंत्र की अद्भुत परिप्रेक्ष्य।
एक सूत्र में सबको जोड़े,
नफरत के अंधियारे को छोड़े।
मौलिक अधिकार हैं अनमोल,
हर इंसान को मिले खुला बोल।
जीवन, शिक्षा, और आजादी,
हर दिल में बसाए अपनी बुनियादी।
कर्तव्यों की भी दिलाई याद,
देशप्रेम का बढ़ाया स्वाद।
कर्तव्य और अधिकार का संगम,
यही है संविधान का मंगलम।”
आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वक्ता राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ० तीर्थ प्रकाश ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संविधान भारतीय समाज की आकांक्षाओं का प्रतीक मात्र ही नहीं अपितु उसके भूत वर्तमान और भविष्य के संकल्पों का भी प्रतीक है। जीवन की रक्षा एवं और उसकी उन्नति में हमारा संविधान सदेव प्रयासरत है हमें सम्पूर्ण मनोयोग से संविधान का पालन करना चाहिए और सदेव इस सामाजिक दस्तावेज के प्रति नमन करते रहना चाहिए।

कार्यक्रम संयोजक डॉ० राम भरोसे ने कार्यक्रम के अंत में सभी का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए महात्मा गाँधी की वर्तमान में प्रासंगिकता के विषय में विस्तार से बताया।
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय परिवार के सदस्य और छात्र छात्राओं में कन्हैया, समरेज, साक्षी, मनजीत, अमित कुमार, निशु, पुनीत, रहीम, अजीत, साहिबा, मंताशा, वर्षा, सावेज, साक्षी, तनु इत्यादि उपस्थित रहें।

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