राजकीय महाविद्यालय, नानकमत्ता में विश्व रेडक्रॉस दिवस पर स्वैच्छिक रक्तदान शिविर एवं विचार गोष्टी का आयोजन

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विश्व रेडक्रॉस दिवस के अवसर पर दिनांक 8 मई 2025 को महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय, नानकमत्ता में एक स्वैच्छिक रक्तदान शिविर एवं विचार गोष्टी का सफलतापूर्वक आयोजन किया गया।

इस शिविर का आयोजन महाविद्यालय की यूथ रेडक्रॉस इकाई द्वारा उप जिला चिकित्सालय खटीमा के सहयोग से किया गया।

स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का शुभारंभ महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. अंजला दुर्गापाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर उन्होंने छात्रों को मानवता, सेवा और समर्पण की भावना से प्रेरित होकर समाज सेवा हेतु सदैव तत्पर रहने का संदेश दिया।

उन्होंने कहा कि ” रेडक्रॉस केवल एक संगठन नहीं, बल्कि यह सेवा, करुणा और मानवता का प्रतीक है। रक्तदान जैसा पुनीत कार्य समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक है।”

रेडक्रॉस के नोडल अधिकारी डॉ. रवि जोशी ने बताया कि महाविद्यालय में निरंतर स्वास्थ्य जागरूकता एवं समाजोपयोगी कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है।

उन्होंने रेडक्रॉस आंदोलन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और इसकी वर्तमान प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “आज की युवा पीढ़ी को समाज सेवा के इन मंचों से जुड़कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।”

रेडक्रॉस के सहायक नोडल अधिकारी डॉ. शशि प्रकाश सिंह ने कहा कि *“रक्तदान एक महादान है जो किसी भी जाति, धर्म या वर्ग से परे, मानव जीवन के प्रति हमारी संवेदनशीलता का परिचायक है।”* उन्होंने रेडक्रॉस स्वयंसेवियों को नियमित रक्तदान के लिए प्रेरित करते हुए इसे एक सामाजिक कर्तव्य बताया।

वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. विद्या शंकर शर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि “रेडक्रॉस की मूल भावना करुणा और निस्वार्थ सेवा है। इस प्रकार के शिविर विद्यार्थियों में सामाजिक उत्तरदायित्व का बोध कराते हैं।”* उनका कहना था कि *“हेनरी ड्यूनांट का कार्य आज भी अत्यंत प्रासंगिक है। मानवता की सेवा के इस प्रयास में हम सभी को भागीदार बनना होगा।”

प्रो. मृत्युंजय शर्मा ने कहा कि “रेडक्रॉस केवल एक संस्था नहीं, बल्कि यह मानवीय मूल्यों का जीवंत प्रतीक है। यह हमें सिखाता है कि समाज की सबसे बड़ी सेवा, उस क्षण होती है जब हम बिना किसी अपेक्षा के किसी अपरिचित के लिए कुछ करते हैं। ‘मानवता की ओर’ बढ़ने का अर्थ है – संवेदना, सहयोग और कर्तव्यबोध के मार्ग पर चलना। विद्यार्थियों को चाहिए कि वे ज्ञान के साथ-साथ सेवा की भावना को भी आत्मसात करें।”

इस अवसर पर उप जिला चिकित्सालय खटीमा की चिकित्सा अधिकारी डॉ. गरिमा पाठक ने रक्तदान की वैज्ञानिक प्रक्रिया और उसके लाभों पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि *”स्वस्थ व्यक्ति के लिए रक्तदान न केवल सुरक्षित है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए लाभदायक भी है।”

उनका कहना था कि *“हर रक्तदाता समाज में जीवनदायिनी भूमिका निभाता है। हमें इस जिम्मेदारी को गर्व से निभाना चाहिए।”

ब्लड बैंक, उप जिला चिकित्सालय खटीमा से अलका खड़ायत, गौरव मावड़ी, राहुल गंगवार और जगदीश शर्मा ने तकनीकी सहयोग प्रदान करते हुए रक्त संग्रहण कार्य को सुचारू रूप से संपन्न किया।

रेडक्रॉस के मास्टर ट्रेनर श्री विमल कुमार ने रेडक्रॉस की गतिविधियों का विस्तृत परिचय देते हुए युवाओं को इस संगठन से जुड़ने और अधिक से अधिक जनहितकारी कार्यों में भागीदारी का आह्वान किया। उन्होंने रेडक्रॉस की सात मूलभूत सिद्धांतों (मानवता, निष्पक्षता, तटस्थता, स्वतंत्रता, स्वैच्छिक सेवा, एकता और सार्वभौमिकता) पर विस्तार से प्रकाश डाला।

शिविर में महाविद्यालय के अनेक छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और कुल 14 यूनिट रक्त एकत्र किया गया। शिविर का संचालन और समन्वय महाविद्यालय की रेडक्रॉस इकाई ने किया।

अंत में महाविद्यालय की प्राचार्य प्रो. अंजला दुर्गापाल ने सभी प्रतिभागियों, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, रेडक्रॉस टीम और महाविद्यालय परिवार का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अंजला दुर्गापाल, रेडक्रॉस नोडल अधिकारी डॉ. रवि जोशी, सहायक नोडल अधिकारी डॉ शशि प्रकाश सिंह, वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. विद्या शंकर शर्मा, प्रो. मृत्युंजय शर्मा, डॉ. निवेदिता अवस्थी, डॉ. ममता सुयाल, डॉ. चंपा टम्टा, डॉ. उमेश जोशी, डॉ. स्वाति लोहनी, डॉ. मंजुलता जोशी, डॉ. निशा परवीन, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. निशा आर्या, डॉ. आशा गढ़िया, महेश कन्याल, राम जगदीश सिंह, विपिन थापा, सुनील कुमार तथा संतोष चन्द, उमेद कुमार, अमनदीप सिंह, चमन जोशी, अर्चना, किरन भट्ट, सुहानी राणा, प्रीति, करन सिंह, करमवीर सिंह सहित महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण, गणमान्य अतिथि एवं रेडक्रॉस के अधिकांश स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यशाला का संचालन डॉ. निशा आर्या द्वारा किया गया।

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