राज्य में विकास कार्य भौगोलिक एवं मूल परिवेश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए होने चाहिए – चंद्रमोहन कौशिक

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हरिद्वार- भारतीय हिंदू वाहिनी के प्रदेश अध्यक्ष एवं सावक मंच संयोजक चंद्रमोहन कौशिक ने प्रेस को जारी बयान में देहरादून सहस्त्रधारा में बादल फटने से हुई भारी तबाही पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड में जो भी विकास कार्य किए जाएं वह उत्तराखंड की धार्मिकता, भौगोलिकता, एवं यहां के मूल परिवेश (पर्वतीय) क्षेत्र की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नियोजित तरीके से किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में जो भी विकास कार्य किए जाएं वह भूगर्भ वैज्ञानिकों एवं नीति विशेषज्ञों की राय के अनुरूप ही सीमित दायरे में किए जाएं क्योंकि अति विकास ही कभी-कभी विनाश का कारण भी बनता है।

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड एक पहाड़ी राज्य होने के कारण यहां जो बड़े-बड़े प्रोजेक्ट लगाए जा रहे हैं उनके कारण भी कहीं ना कहीं पहाड़ धीरे-धीरे खोखले होकर दरक रहे हैं उन्होंने कहा कि विकास के साथ-साथ राज्य वासियों की सुरक्षा भी अति महत्वपूर्ण है इसका ध्यान रखते हुए ही विकास कार्य किए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि 2013 में केदारनाथ आपदा जोशीमठ आपदा धारचूला, थराली, धराली, उत्तरकाशी, चमोली मैं बादल फटने से हुई तबाही से अभी उत्तराखंडवासी उबर भी नहीं पाए थे कि वर्तमान में देहरादून के सहस्त्रधारा में बादल फटने से जो जान माल का नुकसान हुआ है यह अत्यंत ही कष्टकारी एवं पीड़ादायक है।

उन्होंने कहा कि पर्वतीय क्षेत्र में होने वाली भयावह त्रासदी एवं यहां के स्थानीय निवासियों के दर्द को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता।

उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं को रोका नहीं जा सकता लेकिन उनसे सबक लेकर ही भविष्य में भूगर्भ वैज्ञानिक एवं तकनीकी विशेषज्ञों कि राय से ही विकास कार्य किए जाने पर पहाड़ी क्षेत्र में आने वाली आपदाओं को कम किया जा सकता है।

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