करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में मुख्यमंत्री बड़ी कार्रवाई- डीएम सहित तीन अधिकारी निलंबित

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हरिद्वार: नगर निगम हरिद्वार में हुए करोड़ों रुपये के भूमि घोटाले में मंगलवार को बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अनुमति के बाद इस मामले में तीन वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। यह कार्रवाई उस जांच रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जो हाल ही में शहरी विकास विभाग को सौंपी गई थी। कार्रवाई के बाद शासन और प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया है।

कुछ माह पूर्व नगर निगम हरिद्वार द्वारा सराय गांव में कूड़ा निस्तारण केंद्र के विस्तारीकरण के लिए करीब 33 बीघा भूमि खरीदी गई थी। इस भूमि खरीद में गंभीर अनियमितताएं सामने आई थीं। प्राथमिक जांच में पता चला कि जिस भूमि को खरीदा गया वह कृषि श्रेणी की थी, लेकिन उसे व्यवसायिक दरों पर खरीदा गया।

नियमों को ताक पर रखकर भूमि की कीमत करीब 54 करोड़ रुपये आँकी गई जबकि कृषि भूमि का सर्किल रेट इससे कहीं कम था। भूमि की खरीद प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया। दस्तावेजों की जांच में पाया गया कि भूमि के दर्जनों कानूनी पहलुओं की अनदेखी की गई और सर्किल रेट में हेरफेर कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया। मामले के उजागर होने के बाद मुख्यमंत्री ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए और जांच का जिम्मा आईएएस रणवीर सिंह को सौंपा गया।

रणवीर सिंह ने विस्तृत जांच कर रिपोर्ट शहरी विकास सचिव को सौंपी। रिपोर्ट में भूमि खरीद प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियों की पुष्टि हुई। रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद शासन स्तर पर मंथन चला और आखिरकार मंगलवार को प्रशासनिक कार्रवाई का फैसला लिया गया।

कार्रवाई के तहत हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेंद्र सिंह, उस समय नगर आयुक्त रहे वरुण चौधरी और वर्तमान में भगवानपुर के उपजिलाधिकारी के रूप में तैनात अजयवीर सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। शासन ने निलंबन आदेश जारी कर संबंधित अधिकारियों को मुख्यालय से संबद्ध कर दिया है। अब इन अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू होगी।

इस कार्रवाई से साफ संकेत मिल रहे हैं कि सरकार भूमि घोटाले जैसे मामलों में शून्य सहनशीलता की नीति अपना रही है। यह मामला फिलहाल शासन की निगरानी में है। हरिद्वार में यह मामला काफी समय से चर्चाओं में था और स्थानीय स्तर पर कई बार इस घोटाले को लेकर आवाज उठाई जा चुकी थी। कार्रवाई की मांग लगातार की जा रही थी।

मुख्यमंत्री की सख्ती और जांच रिपोर्ट की पुष्टि के बाद यह पहली बड़ी कार्रवाई हुई है। सराय गांव की जिस भूमि पर नगर निगम कूड़ा निस्तारण केंद्र का विस्तार करना चाहता था वह भूमि पहले से ही विवादित बताई जा रही थी। इसके बावजूद प्रशासन ने बिना पूरी जांच के भूमि खरीद को मंजूरी दी। अब यह पूरा प्रकरण शासन की निगरानी में है और आगे की कार्यवाही पर सभी की निगाहें टिकी हैं।

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