हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण: घर बैठे भवनों का नक्शा पास कराए।

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मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की सुशासन की परिकल्पना को साकार करते हुए और आम जनमानस की सुविधा को ध्यान में रखते हुए, हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष आईएएस श्री अंशुल सिंह जी की पहल पर हरिद्वार के उपभोक्ता घर बैठे आनलाइन भवनों के नक्शे पास करा रहे हैं।

यह पहल अब रंग भी ला रही है। उदय एप के जरिए अब उपभोक्ता घर बैठे अपने भवनों के निर्माण के लिए नक्शों का आवेदन कर रहे हैं। सौ वर्ग मीटर क्षेत्रफल के नक्शे और आवश्यक दस्तावेज, उदय एप के साथ आनलाइन आवेदन करने पर तुरंत पास किए जा रहे हैं। एचआरडीए भी नियमानुसार इन नक्शों को स्वीकृत कर रहा है। स्वीकृत नक्शों को एचआरडीए की टीम घर पर जाकर आवेदनकर्ताओं को दे रही है। अपने घर पर प्राधिकरण के कर्मचारियों के नक्शा बांटने से आवेदनकर्ता काफी उत्साहित हैं और एचआरडीए की पहल का स्वागत कर रहे हैं।

वीसी अंशुल सिंह ने उपभोक्ताओं की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए उदय एप तैयार करवाई, जिसके माध्यम से उपभोक्ता अपने घर से ही नक्शा पास कराने के लिए आसानी से आवेदन कर सकते हैं। इस एप का हाल ही में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जी ने शुभारंभ किया था। लोगों में प्राधिकरण के इस अच्छी पहल के प्रति जागरुकता लाने के लिए प्राधिकरण के कर्मचारी पास हुए नक्शे घर-घर जाकर बांट रहे हैं। साथ ही उपभोक्ताओं का फीडबैक भी ले रहे हैं।

प्राधिकरण के वीसी आईएएस अंशुल सिंह ने बताया कि अक्सर उपभोक्ताओं को नक्शा पास कराने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। हमने इन समस्याओं को समझकर उनका निराकरण करने की पहल की और उदय एप को लांच किया। इस एप के जरिए आसानी से आप नक्शा के लिए जरुरी दस्तावेज अपलोड कर आवेदन कर सकते हैं। जिसके बाद बहुत ही कम समय में आपको नक्शा पास हो जाएगा। यही नहीं प्राधिकरण के इंजीनियर और कर्मचारी पास हुए नक्शों को उनके घर पर जाकर बांट रहे हैं। अभी तक पचास से अधिक उपभोक्ताओं को नक्शे बांटे जा चुके हैं और बाकी की प्रक्रिया गतिमान है। उन्होंने बताया कि वो खुद इसका सुपरविजन प्राधिकरण के सचिव उत्तम सिंह चौहान के साथ मिलकर कर रहे हैं।

प्राधिकरण की इस पहल से लोगों में उत्साह है और लोग प्राधिकरण के रचनात्मक कार्यो की जमकर तारीफ कर रहे हैं। उपभोक्ताओं का कहना है कि नक्शा स्वीकृत होने से न केवल निर्माण कार्य में सुगमता आयी है बल्कि लोग प्राधिकरण के चक्कर काटने से बच रहे हैं और साथ-साथ समय की भी बचत हो रही है।

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