हरिद्वार: गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में आज से वेद-विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ का आयोजन

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हरिद्वार। महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती वर्ष एवं अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द जी के 75 वें बलिदान दिवस के अवसर पर गुरुकुल काँगड़ी, समविश्वविद्यालय, हरिद्वार में वेद-विज्ञान एवं संस्कृति महाकुम्भ का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय ज्ञान परम्परा और वैदिक ज्ञान-विज्ञान को अकादमिक विमर्श और अनुप्रयोग का अनिवार्य अंग बनाने के उद्देश्य से इस महाकुम्भ में त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का भी आयोजन (23-25, दिसम्बर 2023) को किया जा रहा है।

इस संगोष्ठी में देश विदेश के वैदिक विद्वान, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और अकादमिक जगत के विद्वान प्रतिभाग करेंगे। इस बात की जानकारी गुरूकुल कांगड़ी, समविश्वविद्यालय, हरिद्वार के कुलपति और वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ के मुख्य संयोजक प्रो. प्रभात कुमार सेंगर ने संयुक्त रूप से कुलपति कार्यालय में पत्रकार वार्ता के दौरान दी।


प्रो० सेंगर ने बताया कि, इस त्रिदिवसीय अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में 700 से अधिक शोध पत्र सारांश प्रस्तुति के लिए प्राप्त हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि वेद-विज्ञान एवं संस्कृति महाकुम्भ के उद्धघाटन समारोह में भारत के महामहिम उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। उद्धघाटन समारोह में राज्यपाल उत्तराखंड ले. ज. (से. नि.) श्री गुरमीत सिंह एवं मुख्यमंत्री, उत्तराखंड श्री पुष्कर सिंह धामी अतिविशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे। इस सत्र में योग ऋषि स्वामी रामदेव का विशिष्ट सानिध्य भी उद्धघाटन सत्र में रहेगा। उद्धघाटन समारोह की अध्यक्षता वेद-विज्ञान एवं संस्कृति महाकुम्भ के संरक्षक डॉ. सत्यपाल सिंह सांसद लोकसभा करेंगे।

त्रिदिवसीय वेद विज्ञान संस्कृति महाकुम्भ में देश की अनेक विभूतियां, सन्त एवं गणमान्य अतिथि भाग लेंगे। जिनमें योगी आदित्यनाथ (मा. मुख्यमंत्री, उत्तरप्रदेश), सीपी राधाकृष्णन (मा. राज्यपाल, झारखंड), आरिफ़ मोहम्मद खान (मा. राज्यपाल, केरल), स्वामी आर्यवेश (प्रधान सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा), स्वामी चिदानंद मुनि (परमाध्यक्ष, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश), डॉ. प्रणव पाण्ड्या, डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक प्रमुख हैं।
वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुम्भ में न केवल देश के बल्कि अन्य देशों जैसे दक्षिण अफ्रीका, संयुक्त राज्य अमेरिका, डेनमार्क, त्रिनिनाद और टोबैगो इत्यादि से भी वैदिक विद्वान, वैज्ञानिक भाग लेने के लिए पधार रहे हैं।

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