सुप्रीम कोर्ट: बारहमासी प्रकृति का कार्य करने के लिए रखे श्रमिक को संविदा कर्मचारी नहीं मान सकते

Spread the love

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बारहों महीने या स्थायी प्रकृति के काम करने के लिए रखे गए श्रमिकों को सिर्फ नियमितीकरण के लाभ से वंचित करने के लिए अनुबंध श्रम (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम 1970 के तहत, अनुबंध श्रमिकों के रूप में नहीं माना जा सकता है। शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ कोल इंडिया की कंपनी महानदी कोलफील्ड्स के 32 में से उन 13 श्रमिकों को नियमित करने का आदेश दिया जिन्हें अनुबंध श्रमिक मानकर नियमित नहीं किया गया था।

मामला कोल इंडिया लिमिटेड की सहायक कंपनी महानदी कोलफील्ड्स की ओर से नियोजित कुल 32 श्रमिकों में से 13 श्रमिकों के गैर-नियमितीकरण से जुड़ा है। इन 32 श्रमिकों को बारहमासी कार्य करते समय अनुबंध श्रमिक माना गया था और कंपनी ने सिर्फ 19 श्रमिकों को नियमित किया था बाकी 13 श्रमिकों को इस आधार पर नियमित करने से इन्कार कर दिया गया था कि, वे जो काम करते हैं वह आकस्मिक है और निरंतर-बारहमासी नहीं, जिससे वह अनुबंध श्रम (विनियमन एवं उन्मूलन अधिनियम, 1970) के तहत नियमित नहीं हो सकते।

बाद में केन्द्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद, मामला केंद्रीय औद्योगिक विवाद न्यायाधिकरण को भेजा गया। ट्रिब्यूनल ने भी 13 श्रमिकों के काम को 19 श्रमिकों के ही समान माना और इसलिए उन्हें अन्य 19 श्रमिकों को प्रदान की गई बकाया मजदूरी और नौकरियों के नियमितीकरण के समान हकदार बताया। ट्रिब्यूनल ने माना कि बंकर के नीचे रेलवे साइडिंग में गंदगी हटाने का काम और 13 श्रमिकों की ओर से (बंकर में) ढ़लानों का संचालन नियमित और बारहमासी प्रकृति का है। बाद में हाईकोर्ट ने भी ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा था।

फलस्वरूप महानदी कोलफील्ड्स ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।महानदी कोलफील्ड्स ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि ट्रिब्यूनल के पास श्रमिकों को स्थायी दर्जा देने की कोई शक्ति नहीं है, क्योंकि अपीलकर्ता और प्रतिवादी/श्रमिक संघ के बीच हुआ समझौता सभी पक्षों पर बाध्यकारी है। इस तर्क को खारिज करते हुए पीठ ने 13 श्रमिकों को स्थायी दर्जा देने के केंद्रीय औद्योगिक न्यायाधिकरण के फैसले को बरकरार रखा और उन्हें न्यायाधिकरण के फैसले के प्रभाव से पिछला वेतन प्रदान कारने का निर्देश दिया।

जस्टिस पी०एस० नरसिम्हा और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि, स्थायी या बारहमासी प्रकृति का कार्य किसी संविदा कर्मचारी से नहीं कराया जा सकता है। इसे नियमित स्थायी कर्मचारी को ही करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने इस टिप्पणी के साथ कोल इंडिया की कंपनी महानदी कोलफील्ड्स को 32 में से उन 13 श्रमिकों को भी नियमित करने का आदेश दिया जिन्हें अनुबंध श्रमिक मानकर नियमित नहीं किया गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *