हरिद्वार: संत निरंकारी मण्डल
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की असीम कृपा से आज रविवार (25.02.2024) प्रातः 8.00 बजे ‘अमृत प्रोजेक्ट’ के अंतर्गत ‘स्वच्छ जल, स्वच्छ मन’ परियोजना के दूसरे चरण का शुभारम्भ हरिद्वार, हरकी पैड़ी से किया गया। बाबा हरदेव सिंह जी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित यह परियोजना समस्त भारतवर्ष के 27 राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के 1533 से अधिक स्थानों पर 11 लाख से भी अधिक स्वंयसेवकों के सहयोग से एक साथ विशाल रूप में आयोजित की गई।
संत निरंकारी मण्डल के मसूरी जोन के जोनल इंचार्ज हर भजन सिंह ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि ‘ प्रोजेक्ट अमृत’ के दौरान सुरक्षा के हर वैधानिक मापदण्ड का उचित रूप से पालन किया गया। इस कार्यक्रम में सभी सेवादारों एवं आंगतुको के बैठने, जलपान, पार्किंग, एम्बुलेंस एवं मेडिकल सुविधाओं इत्यादि का समुचित प्रबंध किया गया। इस परियोजना में युवाओं का अत्यधिक सक्रिय योगदान रहा। यह मुहिम मात्र एक दिन के लिए न होकर प्रत्येक माह भिन्न-भिन्न घाटों व जल स्त्रोतों की साफ-स्वच्छता के साथ निरंतर चलती रहेगी।
‘प्रोजेक्ट अमृत’ के दूसरे चरण का आरम्भ करते हुए निरंकारी राजपिता रमित जी ने सतगुरु माता जी से पूर्व अपने संबोधन में कहा कि बाबा हरदेव सिंह जी ने अपने जीवन से हमें यही प्रेरणा दी कि सेवा की भावना निष्काम रूप में होनी चाहिए न की किसी प्रसंशा की चाह में। हमें सेवा करते हुए उसके प्रदर्शन का शोर करने की बजाय उसकी मूल भावना पर केन्द्रित रहना चाहिए। हमारा प्रयास स्वयं को बदलने का होना चाहिए क्योंकि हमारे आंतरिक बदलाव से ही समाज एवं दुनियां में परिवर्तन आ सकता है। एक स्वच्छ और निर्मल मन से ही सात्विक परिवर्तन का आरम्भ होता है।
सतगुरु माता जी ने प्रोजेक्ट अमृत के अवसर पर अपने आर्शीवचनों में फरमाया कि हमारे जीवन में जल का बहुत महत्व है और यह अमृत समान है। जल हमारे जीवन का मूल आधार है। परमात्मा ने हमें यह जो स्वच्छ एवं सुंदर सृष्टि दी है, इसकी देखभाल करना हमारा कर्त्तव्य है। मानव रूप में हमने ही इस अमूल्य धरोहर का दुरुपयोग करते हुए इसे दूषित किया है। हमें प्रकृति को उसके मूल स्वरूप में रखते हुए उसकी स्वच्छता करनी होगी। हमें मात्र शब्दों से ही नहीं अपितु अपने कर्मो से भी सभी को प्रेरित करना है। कण -कण में व्याप्त परमात्मा से जब हमारा नाता जुड़ता है और जब हम इसका आधार लेते है तब हम इसकी रचना के हर स्वरूप से प्रेम करने लगते है। हमारा प्रयास होना चाहिए कि जब हम इस संसार से जाये तो इस धरा को और अधिक सुंदर रूप में छोड़कर जाये।
हरिद्वार में कार्यक्रम के समापन पर हर की पौडी में आये श्रदालुओ ने मिशन की भूरी-भूरी प्रशंसा की और साथ ही निरंकारी सत्गुरु माता जी का हृदय से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मिशन ने जल संरक्षण एवं जल स्वच्छता की इस कल्याणकारी परियोजना के माध्यम से निश्चित ही प्रकृति संरक्षण हेतु एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।