संसद में अमर्यादित आचरण और कार्यवाही में बाधा डालने के आरोप में राज्यसभा के 45 और लोकसभा के 33 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया है।
राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 34 विपक्षी सदस्यों को सदन के शीतकालीन सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित किया, जबकि 11 सांसदों को सदन की विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया।
लोकसभा में 30 विपक्षी सांसदों को शीतकालीन सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित कर दिया गया है। इनमें कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और गौरव गोगोई, टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी और सौगत रॉय, डीएमके नेता टीआर बालू, ए राजा और दयानिधि मारन और जनता दल (यू) के कौशलेंद्र कुमार शामिल हैं। इन सदस्यों के अलावा तीन विपक्षी सांसदों को विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट आने तक निलंबित कर दिया गया है।
राज्यसभा में तीसरे स्थगन के बाद जब सदन की कार्यवाही शाम साढे बजे फिर शुरू हुई, तो सभापति ने विपक्षी सदस्यों का नाम लिया और कहा कि उन्होंने नारे लगाकर तथा तख्तियां दिखाकर सदन के प्रति घोर असम्मान प्रदर्शित किया है। सभापति की अनुमति से सदन के नेता पीयूष गोयल ने इस संबंध में सदन में प्रस्ताव रखा। श्री गोयल ने कांग्रेस, जनता दल (यू), समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (राजद), झारखंड मुक्ति मोर्चा के 34 सदस्यों के निलंबन का प्रस्ताव पेश किया। इनमें जय राम रमेश, प्रमोद तिवारी, सैयद नाशिर हुसैन, केसी वेणुगोपाल, रजनी पाटिल, इमरान प्रतापगढ़ी, रंजीत रंजन, रणदीप सिंह सुरजेवाला, सुखेंदु शेखर रे, रामनाथ ठाकुर, राम गोपाल यादव, प्रोफेसर मनोज झा और महुआ माजी शामिल हैं। प्रस्ताव को ध्वनि मत से स्वीकार कर इन सदस्यों को सदन से निलंबित कर दिया गया।
इसके बाद सदन ने कांग्रेस, सीपीआई और सीपीएम के 11 अन्य विपक्षी सांसदों के आचरण और अनियंत्रित व्यवहार के मुद्दे को सदन की विशेषाधिकार समिति को भेजने का प्रस्ताव भी स्वीकार कर लिया। ये सांसद समिति की रिपोर्ट आने तक उच्च सदन से निलंबित रहेंगे। इन 11 निलंबित विपक्षी सदस्यों में जॉन ब्रिटास, कुमार केतकर, राजमणि पटेल, नीरज डांगी, एल. हनुमंथैया, बिनॉय विश्वम, मोहम्मद अब्दुल्ला शामिल हैं। इसके बाद सभापति ने सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।