महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय, नानकमत्ता में आयोजित राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के सात दिवसीय विशेष शिविर का तृतीय दिवस विविध रचनात्मक, सामाजिक एवं जागरूकता से परिपूर्ण कार्यक्रमों का साक्षी बना। शिविर के इस चरण में स्वयंसेवकों ने सामाजिक सरोकारों को सशक्त ढंग से अभिव्यक्त करते हुए, समाज के प्रति अपने दायित्वों को समझने और निभाने का संकल्प लिया।
दिवस की शुरुआत महाविद्यालय परिसर में सामूहिक प्रार्थना, योग एवं व्यायाम सत्र से हुई। आशीर्वाद योग स्टूडियो की योग प्रशिक्षक सुश्री महक राठौर एवं सुश्री कुनिका राठौर ने विद्यार्थियों को गहन योगाभ्यास का प्रशिक्षण दिया। इस सत्र में सभी स्वयंसेवियों ने अनुशासन, आत्मबल और स्वास्थ्य के प्रति सजगता की भावना को आत्मसात किया।
इसके उपरांत स्वयंसेवियों ने बंगाली कॉलोनी, नानकमत्ता में महिला स्वास्थ्य एवं कुपोषण उन्मूलन को लेकर जन-जागरूकता रैली निकाली। रैली के माध्यम से स्थानीय नागरिकों को महिला स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता एवं जीवनशैली में सुधार के महत्व पर जानकारी दी गई।
तत्पश्चात शिविर में हिमालय फेलोशिप फॉर ट्रांसफॉर्मेशन के तत्वावधान में आयोजित परिचर्चा में श्रीमती प्रीति अटवाल ने महिलाओं के स्वास्थ्य संबंधी प्रमुख समस्याओं तथा उनके समाधान पर विचार रखे। उन्होंने स्वयंसेवकों को जागरूक समाज के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया। तत्पश्चात शिविर स्थल प्राथमिक विद्यालय बंगाली कॉलोनी में महिला स्वास्थ्य और जागरूकता कार्यक्रम के तहत सस्टेनेबल मेंस्ट्रुएशंस पर एक सत्र आयोजित किया गया। इस सत्र में नानकमत्ता पब्लिक स्कूल की छात्राओं ने देहरादून स्थित नेचर साइंस इनिशिएटिव के साथ मिलकर महावारी की प्रक्रिया, महिला प्रजनन अंग और महिला शरीर के बारे में विस्तार से चर्चा की।
नेचर साइंस इनिशिएटिव के समर्थन से तैयार किए गए प्रेजेंटेशन और समझ के आधार पर छात्राओं ने महाविद्यालय की छात्राओं के सामने पीरियड्स के दौरान प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न विकल्पों पर चर्चा की। मीडिया द्वारा प्रचारित और बाजार में बहुत ज्यादा प्रयोग किए जाने वाले मेंस्ट्रूअल पैड के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों पर भी चर्चा हुई।
इसके अलावा, मेंस्ट्रूअल पैड के विकल्पों जैसे कपड़े से बने पैड और मेंस्ट्रूअल कप पर भी चर्चा हुई। छात्राओं ने बताया कि कैसे मेंस्ट्रूअल कप का प्रयोग किया जाता है और इसके तात्कालिक और दीर्घकालिक स्वास्थ्य परिणामों पर भी चर्चा हुई।
महाविद्यालय की तरफ से छात्राओं ने भी अपने सवाल और शंकाएं साझा कीं। इस कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रवि जोशी, नानकमत्ता पब्लिक स्कूल की प्रधानाचार्य श्रीमती वर्षा अटवाल, डॉ कमलेश अटवाल और शीतल जोशी, नेहा भंडारी, हर्षिता भट्ट, अदिति राणा और अंजलि भट्ट उपस्थित थीं।
परिचर्चा उपरांत महिला स्वास्थ्य एवं स्वच्छता विषयक डॉक्यूमेंट्री फिल्म का प्रदर्शन किया गया। फिल्म ने स्वच्छता के महत्व, स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव और समाज में महिला स्वास्थ्य सुधार हेतु ठोस कदम उठाने के संदेश को प्रभावी रूप में प्रस्तुत किया।
दोपहर सत्र में घनिष्ठ मिश्रा अकादमी, खटीमा के विशेषज्ञ प्रशिक्षकों द्वारा छात्र-छात्राओं को आत्मरक्षा एवं मार्शल आर्ट्स की विधाओं का प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण में स्वयंसेवकों ने विपरीत परिस्थितियों में आत्मसुरक्षा के विभिन्न तकनीकी पहलुओं का अभ्यास किया। इस पहल ने विशेष रूप से छात्राओं में आत्मविश्वास व आत्मसुरक्षा के प्रति सजगता को प्रोत्साहित किया।
दिवस के अंतिम चरण में स्वयंसेवकों ने “हम होंगे कामयाब” गीत का सामूहिक गायन कर संगठन, एकता एवं दृढ़ संकल्प का परिचय दिया। तत्पश्चात शिविर स्थल एवं आसपास के क्षेत्रों में सफाई कर स्वयंसेवकों ने स्वच्छता के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया।
डॉ. रवि जोशी, कार्यक्रम अधिकारी, ने जानकारी दी कि शिविर के आगामी दिवसों में पुस्तक संस्कृति का प्रचार-प्रसार, बालिका शिक्षा, महिला सशक्तिकरण एवं स्वास्थ्य जागरूकता जैसे विषयों पर कार्यशालाएँ एवं जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। रविवार को विशेष रूप से पुस्तक मेला एवं पुस्तक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा, जिसमें “पढ़ने की संस्कृति क्यों जरूरी है” विषय पर संगोष्ठी आयोजित कर विचार विमर्श किया जाएगा।
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य प्रोफेसर अंजला दुर्गापाल, कार्यक्रम अधिकारी डॉ. रवि जोशी, वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो. विद्या शंकर शर्मा, प्रो. मृत्युंजय शर्मा, डॉ. निवेदिता अवस्थी, डॉ. ललित सिंह बिष्ट, डॉ. स्वाति लोहनी, डॉ. मंजुलता जोशी, डॉ. निशा परवीन, डॉ. मीनाक्षी, डॉ. दर्शन सिंह मेहता, डॉ. चंपा टम्टा, डॉ. उमेश जोशी, डॉ. शशि प्रकाश सिंह, श्री महेश कन्याल, श्री राम जगदीश सिंह, श्री विपिन थापा, श्री सुनील कुमार तथा श्री संतोष चन्द सहित अन्य गणमान्य प्राध्यापकगण एवं अतिथिगण उपस्थित रहे। उनकी गरिमामयी उपस्थिति से शिविर की गतिविधियों को दिशा एवं प्रोत्साहन प्राप्त हुआ।
समापन उद्धरण : “सेवा, समर्पण और सद्भावना से ही सामाजिक परिवर्तन संभव है। राष्ट्रीय सेवा योजना के इस शिविर में स्वयंसेवकों ने जिस कर्मठता और सेवा भावना का परिचय दिया है, वह आने वाले भविष्य में उन्हें एक जागरूक और जिम्मेदार नागरिक बनाएगा।”