राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय बनास पैठाणी पौड़ी गढ़वाल में उच्च शिक्षा विभाग एवं भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान अहमदाबाद के सहयोग से देवभूमि उद्यमिता योजना के तृतीय दिवस में हेंडीक्राफ्ट में महारत हासिल की हुईं स्थानीय उद्यमी श्रीमती प्रसन्ना देवी जी ने सिलाई , बुनाई , कताई आदि आदि विधाओं में सेधान्तिक एवं प्रयोगात्मक क्रियाकलाप किये ।
महाविद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ. दिनेश रावत जी ने मुख्य अतिथि महोदया का हार्दिक अभिनन्दन एवं स्वागत किया . नोडल अधिकारी डॉ पुनीत चन्द्र वर्मा ने तृतीय दिवस की रूप रेखा पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला।
डॉ कल्पना रावत जी ने मुख्य अतिथि महोदया को पुष्प गुच्छ भेंट किया। डॉ उर्वशी जी ने मुख्य अतिथि महोदया का बैच अलंकरण किया।
मध्य हिमालय की गोद में बसे उत्तराखंड का हस्तशिल्प सदियों से आकर्षण का केंद्र रहा है। फिर चाहे वह काष्ठ शिल्प हो ताम्र शिल्प अथवा ऊन से बने वस्त्र। सभी की खूब मांग रही है। हालांकि बदलते वक्त की मार से यहां का हस्तशिल्प भी अछूता नहीं रहा है।
दरअसल, हस्तशिल्प को लेकर बाजार की मांग के अनुरूप कदम उठाने की दरकार है। इसके लिए पेेशेवर डिजायनरों की मदद ली जानी चाहिए, ताकि यहां के हस्तशिल्पी भी देश-दुनिया के साथ कदम से कदम मिला सकें। इसके लिए हस्तशिल्प को नए कलेवर में निखारने के साथ ही इसमें नित नए-नए प्रयोग की जरूरत है।
इसे देखते हुए राज्य सरकार ने अब उत्तराखंडी हस्तशिल्प को नए कलेवर में निखारने के मद्देनजर देश के नामी संस्थानों के पेशेवर डिजायनरों की सेवाएं लेने का निश्चय किया है। साथ ही विपणन के लिए भी प्रभावी कदम उठाने की सरकार ने ठानी है। इसके तहत न सिर्फ राज्य के प्रमुख शहरों में शिल्प इंपोरियम स्थापित किए जाएंगे, बल्कि इनके माध्यम से हस्तशिल्प उत्पाद देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही दुनियाभर में जाएंगे। साफ है कि इससे उत्तराखंडी हस्तशिल्प को देश-दुनिया में नई पहचान मिलेगी।
फैकल्टी मेंटर डॉ प्रकाश फोंदणी ने अपने विचारो को व्यक्त करते हुए कार्यक्रम का सफल संचालन किया। डॉ सतवीर जी के द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया । तृतीय दिवस में डॉ. खिलाप सिंह एवं डॉ. आलोक कंडारी के साथ-साथ सतीश सिंह , पल्लव , आशीष , राहुल एवं 50 से अधिक छात्र–छात्राओं ने सहभागिता की।