देश की एकता, अखंडता व जनक्रांति के प्रतीक है श्रीदेव सुमन – प्रो॰ राजेश कुमार उभान

Spread the love

नरेन्द्रनगर :  टिहरी जन क्रांति के नायक अमर शहीद श्रीदेव सुमन के बलिदान दिवस पर यहाँ स्थित धर्मानंद उनियाल राजकीय महाविद्यालय मे श्रद्धांजलि सभा का आयोजन कर महाविद्यालय परिवार ने उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

प्राचार्य प्रो॰ राजेश कुमार उभान ने छात्र-छात्राओं से श्रीदेव सुमन के जीवन चरित्र का अध्ययन कर उनके आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान किया।

सभा मे अमर शहीद श्रीदेव सुमन की जीवनी पर बोलते हुये डॉ॰ विक्रम बर्तवाल ने बताया कि 1947 से पूर्व भारत में राजे-रजवाड़ों का बोलबाला था. कई जगह जनता को अंग्रेजों के साथ उन राजाओं के अत्याचार भी सहने पड़ते थे. श्रीदेव ‘सुमन’ की जन्मभूमि उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में भी यही स्थिति थी।

उनका जन्म 25 मई, 1916 को बमुण्ड पट्टी के जौल गांव में श्रीमती तारादेवी की गोद में हुआ था. इनके पिता श्री हरिराम बडोनी क्षेत्र के प्रसिद्ध वैद्य थे. प्रारम्भिक शिक्षा चम्बा और मिडिल तक की शिक्षा उन्होंने टिहरी से पाई. संवेदनशील हृदय होने के कारण वे ‘सुमन’ उपनाम से कवितायें लिखते थे।

1944 में टिहरी में बढ़ रहे राजशाही के अत्याचारों के विरोध में उन पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हुआ और गिरफ्तार कर लिया गया था. जेल में ही राजशाही के खिलाफ भूख हड़ताल की और 84 दिन की भूख हड़ताल के बाद 25 जुलाई को उन्होंने जेल में शरीर त्याग दिया।

जेल कर्मचारियों द्वारा उनके पार्थिव शरीर को रात में ही भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम में फेंक दिया गया था।

कार्यक्रम का संचालन करते हुये राष्ट्री सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ॰ संजय कुमार ने कहा कि टिहरी को राजशाही से मुक्त कराने और सभी को एक सामान अधिकार दिलाने वाले युवाओं के आदर्श अमर शहीद श्रीदेव सुमन के शहादत दिवस पर हम सभी उनको शत-शत नमन करते हैं।

सभा मे उपस्थित सभी प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं छात्र/छात्राओं द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुये अपने विचार प्रकट किए। श्रद्धांजलि सभा का समापन पौधा रोपण के साथ हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *