उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के 125वें संस्थापना दिवस को किया सम्बोधित

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज के 125वें संस्थापक दिवस समारोह को संबोधित किया। अपने संभाषण में उपराष्ट्रपति ने ज़ोर देकर कहा कि भ्रष्टाचार और संरक्षण युवा नवोन्वेषी दिमागों के सबसे बुरे हत्यारे हैं और ये योग्यता और स्थिरता के विपरीत हैं। उन्होंने आगे कहा कि युवा लोग भ्रष्टाचार से नफरत करते हैं, क्योंकि वे भाई-भतीजावाद और पक्षपात से अपने को ठगा हुआ महसूस करते हैं।

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने अपने संबोधन में बल देकर कहा कि कानून के सामने समानता लोकतांत्रिक शासन के लिए सबसे अपरिहार्य विशेषता है। हाल के घटनाक्रमों का उल्‍लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब कोई भी कानून से ऊपर नहीं है और कानून के लंबे हाथ हर किसी तक पहुंच रहे हैं, खासकर उन लोगों तक जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें कानून के प्रति जवाबदेह ठहराया जाएगा।

कानून के शासन का सम्मान करने के महत्व पर जोर देते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि कानून का सम्मान राष्ट्रवाद का सम्मान है, कानून का सम्मान लोकतंत्र का सम्मान है और कानून का सम्मान योग्यता के आधार पर चीजों के मिलने का सम्मान है तथा कानून का सम्मान भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना है।

शासन इकोसिस्‍टम में हाल के सुधारों की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि सत्ता गलियारे अब भ्रष्ट तत्वों से पूरी तरह मुक्त कर दिए गए हैं और अब एक पारदर्शी, जवाबदेह प्रणाली स्थापित कर दी गई है। उन्होंने कहा कि अब ऐसा समय है, जब योग्यता के आधार पर चीजों के मिलने का बोलबाला है और युवा अपने सपनों की आकांक्षा कर सकते हैं और उनको पूरा भी कर सकते हैं तथा अपनी क्षमताओं का पूरा दोहन कर सकते हैं।

पिछले दशक के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि को रेखांकित करते हुए, उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि एक दशक पहले हमारे देश को पांच कमजोर अर्थव्‍यवस्‍थाओं का हिस्सा माना जाता था, जो वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था पर बोझ थी, लेकिन अब हम दुनिया की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं।

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग और संसद और राज्यों विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण को अनिवार्य करने वाले ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ के पारित होने जैसी कई हालिया उपलब्धियों का जिक्र करते हुए, उपराष्ट्रपति ने बल देकर कहा कि लंबे समय के बाद हम आशा और संभावनाओं के युग में है।

छात्रों और युवाओं को भारत@2047 का मैराथन धावक बताते हुए, युवाओं को विकास का इंजन, स्थिरता का वास्तुकार और समृद्ध भविष्य का संरक्षक बताया। उपराष्ट्रपति धनखड ने युवाओं से आग्रह किया कि वे असफलता से कभी न डरें और अपने विचारों को साहसपूर्वक लागू करें। उन्होंने उनसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता(AI), क्वांटम कंप्यूटिंग, 6जी और मशीन लर्निंग जैसी डिस्रप्टिव प्रौद्योगिकियों द्वारा प्रस्तुत अवसरों का उपयोग करने और उन्हें बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने आगे कहा कि हम डिस्रप्टिव प्रौद्योगिकियों के समय में रह रहे हैं, हम तकनीकी क्रांति के शिखर पर हैं।

इस मौके पर प्रोफेसर योगेश सिंह, कुलपति, दिल्ली विश्वविद्यालय, टीसीए रंगाचारी, अध्यक्ष, गवर्निंग बॉडी, हिंदू कॉलेज, प्रोफेसर अंजू श्रीवास्तव, प्रिंसिपल, हिंदू कॉलेज, संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

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